गेट के ठीक सामने एक काली बिल्ली फांसी से लटकी झूल रही थी। गेट के ठीक सामने एक काली बिल्ली फांसी से लटकी झूल रही थी।
सा सिर्फ इसलिए हो पाया, क्योंकि साधना की अभिनय रेंज ज़बरदस्त ढंग से विस्तृत थी। सा सिर्फ इसलिए हो पाया, क्योंकि साधना की अभिनय रेंज ज़बरदस्त ढंग से विस्तृत थी।
सुशांत थोड़ा और सब्र कर लेते सह लेते यार! कहाँ तुम चले गये सुशांत...! सुशांत थोड़ा और सब्र कर लेते सह लेते यार! कहाँ तुम चले गये सुशांत...!
यह उपहार जीवन भर की उपलब्धि उपहार है। यह उपहार जीवन भर की उपलब्धि उपहार है।
तो यही मंथन की बात है कि फिल्में समाज का आईना होती है या समाज फिल्मों की परछाई। तो यही मंथन की बात है कि फिल्में समाज का आईना होती है या समाज फिल्मों की परछाई।
पापा अपने कमरे में जाते हुए बोले। सब ठठाकर हंस दिए। पापा अपने कमरे में जाते हुए बोले। सब ठठाकर हंस दिए।